इस ब्लॉग को मैं एक बातचित के माध्यम से लिख रही हूँ | क्योंकि मैंने अपने कुछ पुरुष टीम के सदस्य के साथ कुछ जानेने की कोशिश की बाकी पुरुष से – “आपने कभी महिला के शारीरक स्वास्थ्य या माहवारी से जुड़ी बातों को जानने की कोशिश क्यों नहीं की? क्या आपको कभी इसके बारे मे जानेने की इच्छा नहीं हुई?”

ऐसा सवाल पूछने के पीछे मेरा उदेश्य यही था की हमारे संस्था में  Menstrual Hygiene Management (MHM) पे प्रोग्राम हैं और हमारे कई साथी पुरुष हैं | तो मुझे यह एक अहम सवाल लगा की अगर हम इस प्रोग्राम पे कार्य कर रहे हैं तो संस्था के पुरुष का क्या सोच हैं इसके बारे में |

एरा  – क्योंकि हमारे यहाँ लड़की को जब पहली बार  माहवारी आता  हैं तो उसे अलग से झोपड़ी में रख दिया जाता हैं | और कुछ दिनों के बाद उसे जला दिया जाता हैं | मैंने शुरू में जानेने की कोशिश की लेकिन मुझे यह उत्तर मिला कि इस समय लड़की कमजोर होती और बीमार होती हैं इसलिए आगे मैंने आगे जानने की कोशिश नहीं की |

भीमा – नहीं कभी जानने की कोशिश नहीं की लेकिन बाद में स्कूल के किताबों में पढ़ के पाता चला |

पियूष  – मुझे कॉलेज के समय से जानकारी थी | क्योंकि मुझे उस तरह का मौका और माहौल मिला | मैंने physical education में पढ़ाई की इसलिए लड़कियों को क्या issue होता हैं शारीरक तौर पे या menstrual cycle क्या होती हैं यह सब पता चला |

फहिम  – क्योंकी यह एक socially constructed taboo हैं तो लड़के इसे कभी जानने की कोशिश नहीं करेगे | 

अगर उन्हे कभी कार्य करने का मौका मिला तो करेगे क्या ?

इसमे वह तभी कार्य करने का सोच सकते हैं जब finance बहुत अच्छा हो | क्योंकि घर और समाज के लोग के नजर में पुरुष इस काम के लिए जयदा responsible माना जाता हैं तो वह एक बार सोच सकता हैं | 

हरी – अभी जानने की इच्छा होता हैं लेकिन पहेले इसलिए नहीं होता था क्योंकि लड़कियों से दूर रहने के लिए कहा जाता था | 

और कभी सवाल आया नहीं क्योंकि इसको भगवान से जोड़ दिया गया हैं | तो भगवान के बारे में कैसे सवाल पूछ सकते हैं ना | 

मैंने खुद के घर में देखा हैं की माहवारी के समय लड़कियां खाना नहीं बनाती थी | क्योंकि उनको एक तो पहेले से बताया गया था की इस समय वो अपवित्र होती हैं तो उनके ऊपर एक pressure बन जाता हैं की अगर उन्होंने खाना बना दिया तो कोई खाएगा की नहीं |

गौतम – सवाल कब आते हैं जब सवाल होता हैं | मेरे आसपास कभी ऐसा देखने मिला नहीं या छुपया गया जिस वजह से कभी सवाल नहीं आया कभी भी की माहवारी कैसे होती हैं |

तो फिर मम्मी को देखते हुए कभी कुछ जानने की इच्छा नहीं हुई ?

नहीं | क्योंकि मुझे कभी उनके माहवारी के समय के बारे में पता नहीं चला |

तो फिर तुम्हें माहवारी शब्द का पता कब चला ?

स्कूल के समय लेकिन कभी कैसे होता हैं यह जानने की कोशिश नहीं की |

फिर कब माहवारी से जुड़ी बाते जानने का इच्छा हुआ ?

जब आप आए जीवन में मैंने आपके दिक्कत को देखा |उसके बाद मैंने विडिओ देखना शुरू किया menstrupedia की किताब पढ़ी , और कुछ – कुछ इंटरनेट से भी पढ़ना शुरू किया |  

में जानती हूँ की आप सब के आसपास का वातावरण अलग है। आप जहा बड़े हुए, जहा पड़े, जहा नौकरी कर रहे है, सब अलग हो सकता है। लेकिन अपनी ज़िन्दगी में और आसपास पुरुष से सवाल पूछिए। क्योकि इन् सवालों के जवाब में ज्ञान है। जो माहवारी से जुड़े अज्ञान को मिटाएगा। यह एक महिला की “प्रॉब्लम” नहीं है। इसके बारें में खुल के बात करना बहुत ज़रूरी है , चाहे आप जहा भी रहते हो।
क्या आप सवाल पूछने के लिए तैयार है?